Tuesday, December 7, 2010

सीवरेज पाइप से बना दिए होटल के सारे कमरे


वियना. ऑस्ट्रिया में सीवरेज पाइपों से बने फाइव स्टार कमरों वाला एक होटल खुला है। ओटैनशीम में स्थित पार्क होटल के एक मेहमान ने बताया कि इसमें सिर्फ एक ही खामी है कि इसमें न तो स्नानघर और न ही शौचालय।

बाथरूम के लिए एक अलग पाइप में जाना होगा। इस होटल के अन्य मेहमान भी बहुत खुश नजर आ रहे थे। उन्होंने बताया कि इसमें लगे बिस्तर बहुत आरामदायक हैं। होटल के एक प्रवक्ता ने कहा कि लोगों को होटल पसंद आएगा। हमने चीज को निजी रूप देने की हर संभव कोशिश की है।

मेहमान यहां रहने के लिए ऑनलाइन बुकिंग करवा रहे हैं। उन्हें कमरे का दरवाजा खोलने के लिए एक पिन दी जाती है। यह पिन उसी दिन कमरे का दरवाजा खोलती है जिस दिन के लिए इस बुक कराया गया होता है।

Monday, September 20, 2010

आईआईटी में अब शुरू होगी मेडिकल की पढ़ाई

नई दिल्ली :(12 Sep 2010, 1258 hrs IST, इकनॉमिक टाइम्स) आईआईटी में मेडिकल की पढ़ाई भी होगी। इसके अलावा उन्हें विदेशी नागरिकों को फैकल्टी नियुक्त करने और पोस्ट ग्रेजुएट ग्रेजुएट स्तर के कोर्स में विदेशी छात्रों को दाखिला देने की इजाजत मिल गई है। मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल की अध्यक्षता में हुई आईआईटी काउंसिल की बैठक में ये फैसले लिए गए हैं। आईआईटी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजीज एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय आईआईटी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने के खिलाफ रहा है। मंत्रालय का मानना है कि इंजीनियरिंग संस्थानों को मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने के बजाय हेल्थ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजीज, बायोमेडिकल इंजीनियरिंग और ई-हेल्थ कोर्सेज शुरू होने चाहिए। अभी सिर्फ आईआईटी खड़गपुर ने मेडिकल कॉलेज खोलने में दिलचस्पी दिखाई है। आईआईटी खड़गपुर ने दलील दी है कि उसके आसपास के क्षेत्र में कोई मेडिकल कॉलेज नहीं है। इसलिए मेडिकल कॉलेज शुरू करने से इस क्षेत्र की जरूरतें पूरी करने में मदद मिलेगी। आईआईटी काउंसिल ने बीच का रास्ता निकाला है। टेक्नोलॉजीज एक्ट में प्रस्तावित संशोधन के जरिए दो तरह के बदलाव किए जाएंगे। वैसे कोर्स के लिए जिनसे मिलने वाली डिग्री के बाद डॉक्टर की प्रैक्टिस की जा सकेगी, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से मंजूरी लेनी पड़ेगी। हालांकि, जिस मेडिकल कोर्स में मिलने वाली डिग्री का संबंध डॉक्टरी प्रैक्टिस से नहीं है और वह रिसर्च आदि से जुड़ा है तो इसके लिए मेडिकल एजुकेशन के रेगुलेटर से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सिब्बल ने कहा, 'हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि जहां मिलने वाली डिग्री का संबंध मेडिसिन के किसी ब्रॉन्च से है वहां कोर्स की मंजूरी एमसीआई से लेनी पड़ेगी।' आईआईटी काउंसिल आईआईटी और अन्य संस्थानों के बीच रिसर्च के मामले में ज्यादा सहयोग सुनिश्चित करना चाहती है। इसके लिए काउंसिल ने सीएसआईआर के पूर्व प्रमुख आर ए माशेलकर के नेतृत्व में स्थायी समिति बनाने का फैसला किया है। दुनिया के दूसरे हिस्से में स्थित संस्थानों के साथ मिलकर काम करने के लिए काउंसिल का विस्तार कर इसमें प्रधानमंत्री के साइंटिफिक एडवायजरी काउंसिल के चेयरमैन को शामिल किया गया है। इसके अलावा इसमें इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी के प्रेसिडेंट और नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग के प्रेसिडेंट को भी शामिल किया गया है। काउंसिल ने फैसला किया है कि आईआईटी सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडी शुरू करेंगे। यह पॉलिसी बनाने के लिए एडवाइजरी फोरम होगा और रणनीतिक क्षेत्रों में रिसर्च करेगा। आईआईटी काफी समय से फैकल्टी की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। उन्हें विदेश से फैकल्टी नियुक्त करने की इजाजत मिल जाने से काफी राहत मिली है। काउंसिल ने आईआईटी को विदेशी नागरिकों को फैकल्टी नियुक्त करने की इजाजत दे दी है। वे स्थायी फैकल्टी की कुल संख्या का 10 फीसदी विदेशी फैकल्टी की नियुक्ति कर सकेंगे। सिब्बल ने कहा, 'सिद्धांत रूप में हम आईआईटी में विदेशी फैकल्टी नियुक्त करने पर सहमत हो गए हैं।'

2010 में टॉप टेन ब्रैंड

2010 में टॉप टेन ब्रैंड --- ब्रैंड वैल्यू (अरब डॉलर में) 1। कोका कोला---70 अरब डॉलर 2। आईबीएम---65 अरब डॉलर 3। माइक्रोसॉफ्ट---61 अरब डॉलर 4। गूगल---44 अरब डॉलर 5। जीई---43 अरब डॉलर 6। मैकडॉनल्ड---34 अरब डॉलर 7। इंटेल---32 अरब डॉलर 8। नोकिया---30 अरब डॉलर 9। डिज्नी---29 अरब डॉलर 10। एचपी---27 अरब डॉलर

Tuesday, September 7, 2010

विनकॉम ने हिंदी की-पैड वाला फोन उतारा

30 अगस्‍त 2010
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

नई दिल्ली।
विनकॉम टेलीकॉम लिमिटेड ने देश में हिंदी भाषी उपभोक्ताओं के लिए हिन्दी की-पैड वाला मोबाइल फोन बाजार में उतारा है। कंपनी का यह फोन वाई-45 देश का पहला पूर्ण हिनदी की-बोर्ड वाला फोन है।
इस फोन की लांचिग के लिए आयोजित समारोह में विनकॉम के सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक अरविंद वोहरा ने कहा, "लोगों को कुछ नया उपलब्ध कराने के अपने मिशन के तहत हमने ‘वाई-45’ श्रृंखला के मल्टीमीडिया फोन विकसित किए हैं। हिन्दी की-बोर्ड पसंद करने वाले लोगों के लिए कम कीमत पर यह फोन काफी उपयोगी साबित होंगे।"

देश के मध्यम और छोटे शहरों में लोगों के लिए भाषा की बाधा दूर करते हुए कंपनी ने यह मल्टीमीडिया फोन उतारा है। इससे पहले हिन्दी के सभी अक्षरों के की-बोर्ड वाला कोई फोन उपलब्ध नहीं था। हिंदी भाषी ज्यादातर लोग एसएमएस करने में भाषागत परेशानी महसूस करते हैं। ऐसे में हिन्दी कीबोर्ड वाले फोन को लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद है।

Friday, November 7, 2008

पानी की जानकारी हिन्दी मे

राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की अनुशंसाओं के आधार पर पानी से जुड़े मुद्दों पर जनजागरकता कायम करने के उद्देश्य से हिन्दी में वेबपोर्टल विकसित किया गया है। इस पोर्टल का वेब पता है hindi.indiawaterportal.org ।इस पोर्टल के हिन्दी संस्करण का विकास करने वाले स्वयंसेवी संगठन ‘वॉटर कम्युनिटी इंडिया’ की निदेशिका मीनाक्षी अरोड़ा ने बताया कि यह वेब पोर्टल पानी से जुडे तमाम पहलुओं के बारे में जानकारियों के विशाल भंडार की तरह होगा। यह पानी से जुडे मसलों पर न केवल सरकार के पक्षों एवं विचारों को बल्कि विभिन्न जन संगठनों एवं समूहों के विचारों को भी परलक्षित करेगा।

Saturday, September 6, 2008

(spam e-mail) स्पैम का कारण है ई-मेल का पहला अक्षर

02 सितम्बर 2008इंडो-एशियन न्यूज सर्विस

आप अवांछनीय (स्पैम) मेल से परेशान हैं? अब शोधकर्ताओं ने इस परेशानी की वजह का पता लगा लिया है।दरअसल, आपके मेल बॉक्स में कितने स्पैम मेल आते हैं, इसके लिए जिम्मेदार आपके ई-मेल पते का पहला वर्ण (अक्षर) है।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के नए अध्ययन में इस संबंध में खुलासा किया गया है।शोधकर्ताओं ने 50 करोड़ से अधिक ‘जंक’ मेल का अध्ययन किया तो पाया कि सामान्य वर्णों से शुरू होने वाले ई-मेल पते पर 40 फीसदी स्पैम मेल का हमला होता है।शोधकर्ताओं के अनुसार कम सामान्य वर्णों से शुरू होने वाले ई-मेल पते को कम संख्या में स्पैम मेल प्राप्त होते है अंग्रेजी के जे, ए, यू, आई, आर, पी, एम या एस वर्णों से शुरू होने वाले ई-मेल पते को सबसे अधिक स्पैम मेल आते हैं। वहीं क्यू, जेड, डब्ल्यू, वाई या एफ से प्रारम्भ होने वाले ई-मेल पते को पहले दिए गए वर्णों के मुकाबले कम स्पैम प्राप्त होते हैं।स्पैम मेल से संबंधित इस महत्वपूर्ण अध्ययन को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर रिचर्ड क्लेटॉन ने किया है।

Saturday, August 9, 2008

देश बचाओ

इलेक्ट्रॉनिक कचरे का अड्डा बनता भारत

08 अगस्त 2008इंडो-एशियन न्यूज सर्विसश्वेता श्रीनिवासननई दिल्ली।

अगर आप यह समझते हैं कि आपके जंग खाए पुराने टीवी सेट या पीसी को कूड़ाघर या अपशिष्ट निपटान केंद्र में सुरक्षित तरीके से विखंडित कर दिया गया होगा, तो आप गलत हैं।एक नए अध्ययन के मुताबिक इस तरह का इलेक्ट्रॉनिक कचरा पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण संरक्षण संगठन ग्रीनपीस की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत इलेक्ट्रॉनिक कचरे का विश्वस्तरीय ठिकाना बन गया है।

देश में यह कचरा मिट्टी और पानी को प्रदूर्षित कर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर रहा है। इसमें कहा गया है कि भारत और चीन जैसी तेजी से उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने यह समस्या प्रमुख चुनौती बनकर सामने आई है।इन देशों को आर्थिक विकास के लिए जरूरी बुनियादी ढांचे के निर्माण के मद्देनजर बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक व इलेक्ट्रिकल उपकरणों की जरूरत पड़ रही है। इसी रफ्तार से इन देशों में इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी पैदा हो रहा है।रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट के निपटान का तरीका अभी भी पारम्परिक है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2007 में भारत में 3,80,000 टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा पैदा हुआ और ऐसी आशंका है कि 2012 तक यह बढ़कर सालाना 8,00,000 टन हो जाएगा। इसमें सालाना 15 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है।

इस तरह के कचरे में कैडमियम, क्रोमियम, पारा, पोलीविलाइल क्लोराइड्स जैसे घातक रसायन होते हैं, जो तंत्रिका तंत्र, गुर्दा, हड्डियों, प्रजनन तंत्र आदि पर घातक असर डालते हैं।